ए दिल ...मत हो उदास...




कुछ लम्हों की ज़िंदगी
कुछ काली रातों का इल्ज़ाम
बीतेगी ये रात भी कभी एक दिन
ए दिलरख तू ज़रा सा होसला
मत हो उदास

इंतेज़ार का होगा ख़ात्मा
सामने होगा सपनो का जहान
अभी मत कर तू खुद को रुसवा
ए दिल रख तू ज़रा सा होसला
मत हो उदास

चमक रहे होंगे चाँद सितारे और सिक्के बेशुमार
गूँज उठेगी अरमानों की दुनिया
सजही जाएगी एक दिन यादों की बारात
ए दिलरख तू ज़रा सा होसला
मत हो उदास

फिर मनके आईने में होगा हर रोज़ एक नया ख़याल
फिर खुशियों से हर रोज़ होगी मुलाक़ात
ए दिलरख तू ज़रा सा होसला
मत हो उदास
मत हो उदास

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