काश मुझे घर बैठे ताज़ी सब्ज़ियां मिल जाती,
मैं कुछ देर तक और सो जाती,
लेकिन फिर रोज़ कमाकर खानेवाली वह सब्ज़ीवाली शायद आज भूखी रह जाती,
अच्छा है कुछ ख्वाइशें पूरी नहीं होती।
काश आज मेरी ट्रैन न छूटती,
मैं घर से जल्दी निकलती और वक़्त पर पोहोच जाती,
लेकिन फिर इस कैब वाले की आज एक सवारी कम हो जाती,
अच्छा है कुछ ख्वाइशें पूरी नहीं होती।
काश मुझसे घर की चाबी न घूम हुई होती,
मैं एक और चाबी अपने पास रखती,
लेकिन फिर उस पडोसी से कभी बात ही कैसे होती,
अच्छा है कुछ ख्वाइशें पूरी नहीं होती।
काश मैं इतनी भावुक न होती,
मैं भी औरों की तरह हमेशा मुस्कुराती,
लेकिन फिर इस दिल के टूटे कोने से कहानियां और कवितायेँ कैसे निकलती?
अच्छा है कुछ ख्वाइशें पूरी नहीं होती।
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