सपनो की गल्लियो में कुछ ढूँडता सा फिरू
दिल ये तो बता में कब तक उठु और गिरु,
ज़िंदगी की परछाईयो में कुछ उदास सा फिरू
दिल ये तो बता में कब तक इस खेल में हारू और हारता रहू,
चेहरो में सबके कुछ पढ़ता सा फिरू
दिल ये तो बता में कब तक यूँ मायूसीओं से लडू,
ये तो बता में कब तक यूँ मायूसीओं से लडू !
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